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14:50, 20 जनवरी 2012 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=चतुर्भुजदास
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[[Category:पद]]
<poem>
गोबिंद चले चरावन गैया ।
दिनो है रिषि आजु भलौ दिन कह्यौ है जसोदा मैया ॥
उबटि न्हवाइ बसन भुषन सजि बिप्रनि देत बधैया ।
करि सिर तिलकु आरती बारति, फ़ुनि-फ़ुनि लेति बलैया ॥
’चतुर्भुजदास’ छाक छीके सजि, सखिन सहित बलभैया ।
गिरिधर गवनत देखि अंक भर मुख चूम्यो व्रजरैया ॥
</poem>