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इल्तिजा कर रहा हूँ मैं तुमसे यही, नंगे पाँवों गली में न आया करो
वरना चुभ जाएगा कोई काँटा कहींबच के काँटों से रक्खा करो तुम क़दम, पाए पैर नाज़ुक को अपने है उसको बचाया करो
तुम हसीनों में सबसे जुदा हो हसींसनम, हुस्न वाले लोग यूं तो नहाते हैं पानी से सब
नर्म नाज़ुक बदन है तुम्हारा बहुत, दूध से तुम मेरी जाँ नहाया करो
आपके घर से मंदिर नहीं दूर कुछ, मैं भी आता हूँ हर रोज़ मंदिर सनम
होगी पूजा बहाना मुलाक़ात का, मैं तुम्हें, तुम मुझे देख जाया बस वहीं जलवा अपना दिखाया करो
घर से सिंगार श्रिंगार करके जो निकलो कभीनिकलती तो हो, बस यही तुमसे इक हाँ मगर इतनी सी इल्तिजा है मेरीगाल पर एक तिल भी सा बनाया करो, जब भी नैनो में काजल लगाया करो
तुमने मुझको लिखा था जो ख़त प्यार का, जो भी उसमें लिखा था वो अच्छा लगा
यूँ न नैनो से निंदिया चुराया करो, यूँ न आ के सपनों में आकर मुझको सताया करो
घर की अंगनाई में या के तन्हाई में, जब भी थक जाए तन और घबराए मनतुम्हें याद मेरी सताने लगे बन के तितली चमन में भी आया करोभूलकर दूरियां मन ही मन जानेमन, फूल की तरहा तरह तुम मुस्कराया करो
याद करके तुझे तुम्हें गीत लिखता हूँ मैं, मेरा हर गीत है बस तुम्हारे लिएचैन आ जाएगा मन बहल जाएगा, गीत मेरा लिखा सदा गुनगुनाया करो
प्यार है तो कहो बेरुख़ी किसलिए, किस ख़ता पर मेरी है शिकायत तुम्हें
मेरी नज़रों से नज़रें मिलाया करोमिलाकर कहो, शर्म से सर न अपना झुकाया करो
प्यार करता हूँ तुमसे ख़ुदा की क़सम, प्यार की राह में हैं बड़े पेचो-ख़म
तुमसे बस ये मेरी आख़िरी अर्ज़ है'रक़ीबे'-जहाँ की यही इल्तिजा, जो भी वादा करो वो निभाया करो
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