952 bytes added,
13:10, 2 फ़रवरी 2012 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=नीरज गोस्वामी
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
तन्हाई में गाया कर
ख़ुद से भी बतियाया कर
हर राही उस से गुज़रे
ऐसी राह बनाया कर
रिश्तों में गर्माहट ला
मुद्दे मत गरमाया कर
चाँद छुपे जब बदली में
तब छत पर आ जाया कर
जिंदा गर रहना है तो
हर गम में मुस्काया कर
नाजायज़ जब बात लगे
तब आवाज़ उठाया कर
मीठी बातें याद रहें
कड़वी बात भुलाया कर
‘नीरज’ सुन कर सब झूमें
ऐसा गीत सुनाया कर
</poem>