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हरि मुख देखि हो बसुदेव / सूरदास

13 bytes removed, 13:05, 28 सितम्बर 2007
राग बिलावल
 
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श्रीवसुदेवजी श्रीवसुदेव जी ! श्रीहरि का मुख तो देखो ! ये परम सुन्दर होने पर भी करोड़ों कालकेकाल के समान हैं, इनका रहस्य कोई नहीं जानता । इनकी ये चारों भुजाएँ जिनमें (शंख, चक्र, गदा, पद्म) चार आयुध हैं, देखकर भी आप विश्वास नहीं करते ? अबतक अब तक भी आपकेमनमेंमन में( इनके द्वारा कंस के मारे जाने का) विश्वास नहीं है, अतः इन्हें नन्दजी के घर ले जाइये । कुत्ते सो गये हैं और बादल बड़े जोरकी जोर की वर्षा कर रहे हैं । बंदी वसुदेवजीवसुदेव जी की सब बेड़ियाँ (स्वतः) खुल गयीं, लोहे के भारी किवाड़ भी खुल गये, मस्तक पर श्रीकृष्णचन्द्र को उठाकर वे गोकुल के मार्ग पर चल पड़े । आगे सिंह दहाड़ रहा था, पीछे-पीछे शेषनाग चल रहे थे,यमुनामें यमुना में पूरी बाढ़ आयी थी, अभी दूसरा किनारा बहुतदूर था कि जल नासिकातक नासिका तक आ गया । लेकिन श्याम ने सिरपर सिर पर से हुंकार की, यमुनाने संकेत के मर्म को समझ लिया, प्रभु के चरणों का स्पर्श करके उन्होंने थाह दे दिया (पार जाने-जितना जल कर दिया) इससे श्रीवसुदेवजी श्रीवसुदेव जी पार चले गये । उन्होंनेश्री नन्दरानी के पास ले जाकर श्रीकृष्ण को रख दिया, इससे देवताओं को बड़ा आनन्द हुआ । सूरदासजी सूरदास जी कहते हैं कि ये आनन्दकन्द तो व्रजक्रीड़ा करने के लिये ही प्रकटहुए हैं ।