गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
ख़ामोश हूँ मुद्दत से नाले हैं न आहें हैं / सीमाब अकबराबादी
3 bytes added
,
03:18, 20 फ़रवरी 2012
‘सीमाब’ गुज़रगाहे-उल्फ़त को भी देख आये।
बिगडे
बिगड़े
हुए रस्ते हैं, उलझी हुई राहें हैं॥
</poem>
द्विजेन्द्र द्विज
Mover, Uploader
4,005
edits