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15:20, 22 फ़रवरी 2012 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=जिगर मुरादाबादी
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ये हुजूमे-ग़म<ref>दुखों का झुण्ड</ref> ये अन्दोहो-मुसीबत<ref>दुख और व्यथा</ref> देखकर
अपनी हालत देखता हूँ उसकी हालत देखकर
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