Changes

'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=जिगर मुरादाबादी }} {{KKCatGhazal}} सोज़ में भ...' के साथ नया पन्ना बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=जिगर मुरादाबादी
}}
{{KKCatGhazal}}
सोज़ में भी वही इक नग़्मा है जो साज़ में है
फ़र्क़ नज़दीक़ की और दूर की आवाज़ में है

ये सबब<ref>कारण </ref> है कि तड़प सीना-ए-हर-साज़<ref>हर वाद्य यन्त्र के सीने में </ref> में है
मेरी आवाज़ भी शामिल तेरी आवाज़ में है

जो न सूरत में न म’आनी<ref>अर्थ </ref> में न आवाज़ में है
दिल की हस्ती भी उसी सिलसिला-ए-राज़<ref>भेदों की श्रंखला </ref> में है

आशिकों के दिले-मजरूह <ref>घायल हृदय </ref> से कोई पूछे
वो जो इक लुत्फ़ निगाहे-ग़लत -अंदाज़<ref> उचटती हुई नज़र </ref> में है

गोशे-मुश्ताक़<ref>उत्सुक कान </ref> की क्या बात है अल्लाह-अल्लाह
सुन रहा हूँ मैं जो नग़्मा जो अभी साज़ में है

</poem>
{{KKMeaning}}