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पाँव उठ सकते नहीं मंज़िले-जानाँ के ख़िलाफ़ / जिगर मुरादाबादी
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पाँव उठ सकते नहीं मंज़िले -जानाँ के ख़िलाफ़
और अगर होश की पूछो तो मुझे होश नहीं
द्विजेन्द्र द्विज
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