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कुछ इस अदा से आज वो पहलू-नशीं रहे / जिगर मुरादाबादी
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03:37, 23 फ़रवरी 2012
जब तक हमारे पास रहे हम नहीं रहे
ईमान-ओ-कुफ़्र<ref>धर्म-अधर्म </ref> और न दुनिया
व
-ओ-
दीं <ref>दुनिया और धर्म </ref> रहे
ऐ इश्क़ !शादबाश <ref> प्रसन्न रहो </ref> कि तनहा हमीं रहे
द्विजेन्द्र द्विज
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