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16:33, 23 फ़रवरी 2012 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=जिगर मुरादाबादी
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<poem>
कब तक आख़िर मुश्किलाते-शौक़<ref>प्रेम मार्ग की कठिनाइयाँ </ref> आसाँ कीजिए
अब मोहब्बत को मोहब्बत पर ही क़ुर्बाँ कीजिए
चाहता है इश्क़ ,राज़े-इश्क़ <ref>प्रेम का रहस्य </ref>उरियाँ<ref> ,प्रकट</ref> कीजिए
यानी<ref>अर्थात </ref> ख़ुद खो जाइए उनको नुमायाँ <ref>उजागर </ref>कीजिए
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