{{KKGlobal}}{{KKParichay|चित्र=|नाम= शीर्षक अनन्त आलोक|उपनाम=|जन्म= |जन्मस्थान= |कृतियाँ= |विविध= |सम्पर्क=|जीवनी=[[अनन्त आलोक / परिचय]]|अंग्रेज़ीनाम=Anant Alok}}* '''[[ / अनन्त आलोक]]''' (कविता-संग्रह)'''मुक्तक ''' १<sort order="asc" class="ul">* [[अब आदमी का इक नया प्रकार हो गया, / अनन्त आलोक]]आदमी का आदमी शिकार हो गया, * [[माँ के जाते ही / अनन्त आलोक]]जरुरत नहीं आखेट को अब कानन गमन * [[आपने तारीफ की, / अनन्त आलोक]]शहर में ही गोश्त का बाजार हो गया |* [[दुआ / अनन्त आलोक]]* [[ / अनन्त आलोक]]
२ माँ के जाते ही बाप गैर हो गया, अपने ही लहू से उसको बैर हो गया, घर ले आया इक पति हंता नार को, आप ही कुटुंब पर कहर हो गया| ३ आपने तारीफ की हम खूबसूरत हो गये, आइना देखते हम खुद में ही खो गये, जाने क्या जादू किया आपके इल्फजों ने, निखर कर हम सोंदर्य की मूरत हो गये|</sort>