गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
शिव / शिवदीन राम जोशी
4 bytes added
,
03:57, 26 फ़रवरी 2012
मृगछाल बाघम्बर आसन की,
छवि छाज रही अहो अपरंपारा |
बाज
रही
डमरू
कर
में,
व आवाज भली जग जानत सारा |
शिवदीन सदा शिव सहायक है,
वर दायक दानी वे दाता हमारा |
<poem>
Kailash Pareek
514
edits