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|रचनाकार = ओमप्रकाश यती
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इस तरह कब तक हँसेगा-गाएगा
एक दिन बच्चा बड़ा हो जाएगा

आ गया वह फिर खिलौने बेचने
सारे बच्चों को रुलाकर जाएगा

हर समय ईमानदारी की ही बात
एक दिन यह आदमी पछताएगा

फ़ाइलें यदि मेज़ पर ठहरें नहीं
दफ़्तरों के हाथ क्या लग पाएगा

‘रेस’ जीतेंगी यहाँ बैसाखियाँ
पाँव वाला दौड़ता राह जाएगा
</poem>‌
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