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'''1945 में लिखी नज्म़ ‘बोल! अरी ओ धरती बोल’ की अभिव्यक्ति सार्वकालिक सत्य थी '''  <poem>
बोल !अरी ओ धरती बोल
राज सिंहासन डावांडोल !
 
</poem>
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