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बोल! अरी ओ धरती बोल / मजाज़ लखनवी
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02:21, 3 मार्च 2012
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1945 में लिखी नज्म़ ‘बोल! अरी ओ धरती बोल’ की अभिव्यक्ति सार्वकालिक सत्य थी
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बोल !अरी ओ धरती बोल
राज सिंहासन डावांडोल !
</poem>
Dr. ashok shukla
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