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'''बहक गये बातोें बातो में'''
आतिशी हवाओं के घूम रह रहे हरकारे
दहक रहे फूलों के
सीनों में अंगारे
सूरज के रंग ढंग
दुश्मनों सरीखे हैं
मरूस्थल मरुथल से प्यासे हैं
उपवन के रखवारे
पथरायी चौखट ने
दरवाजे बन्द किये
घबरायी-चीखेां चीखों ने
सन्नाटे भंग किये
आँगन की किस्मत में
आयें हैं बँटवारे
दहक रहे फूलों के
सीनों में अंगारे
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