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किस तरह से चीख निकले / शीलेन्द्र कुमार सिंह चौहान
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16:19, 5 मार्च 2012
चील गिद्धों ने
हवा
मे
में
गंध पाकर
ले लिए छत बीच अपने हैं बसेरे,
श्वान गलियों में
चीख़ निकले,
होंठ पर लटका हुआ बेजान ताला ।
बिल्लियों ने रोज़ काटा
रास्ते को,
बंदिशों ने कामना को रौद डाला ।
</poem>
Sheelendra
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