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काली बिल्ली ढूंढ रही/ शीलेन्द्र कुमार सिंह चौहान
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16:25, 5 मार्च 2012
उसे नहीं इससे मतलब है कौन कहाँ लाचार ।
घिरे
अँधरे
अँधेरे
में भी इसकी
चमक रही हैं आँखें,
जैसे रातों में दिखती हैं
Sheelendra
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