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वृक्ष हूं इसलिये/ शीलेन्द्र कुमार सिंह चौहान
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17:01, 5 मार्च 2012
लाज अपनी लुटाकर गयी द्रोपदी,
जानकी के सुभग देश में किस तरह
घट रही
रोज ही
हैं अशुभ
यह नयी त्रासदी,
स्वर सुनायी नहीं दे रहे रोष के,
Sheelendra
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