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हो गयी हैं यंत्रवत / शीलेन्द्र कुमार सिंह चौहान
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17:12, 5 मार्च 2012
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<poem>
'''हो गयी
है
यंत्रवत'''
हो गयी
है
यंत्रवत अब जिंदगी यह,
मन समझ जज्बात को पाता नहीं।
Sheelendra
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