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खेत में पानी भरो/ शीलेन्द्र कुमार सिंह चौहान
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17:28, 5 मार्च 2012
हो रहा है लोभ का संचरण इतना
श्वेत किरणें आज मैली हो गयीं
पुत गये हेमाभ चेहरे
कालिख
कालिखों
से,
चदरें
चादरें
भी रंग
खे
खो
मैली हुयी,,
नित करो तुम आचरण का वरण ऐसा,
अब किसी की जिन्दगी लूटे नहीं।
</poem>
Sheelendra
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