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|रचनाकार=मनु भारद्वाज
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<Poem>
प्यार में इससे ज़ियादा क्या देगी
हद से हद तू मुझे रुला देगी

प्यार तेरा कुबूल कर तो लूँ
तू तो एहसान भी जता देगी

मेरी मजबूरियाँ न समझेगी
जानता हूँ कि बद्दुआ देगी

रोज़ आएगी मेरे ख्वाबों में
मेरे ज़ख्मों को फिर हवा देगी

हमने माना कि दिल तो टूट गया
ज़िन्दगी जीना भी सिखा देगी

ऐ 'मनु' गम से दोस्ती कर लो
ये ख़ुशी सिर्फ दर्द सा देगी</poem>
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