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22:39, 11 मार्च 2012 {{KKRachna
|रचनाकार=मनु भारद्वाज
|संग्रह=
}}
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<Poem>
कुछ हादसात ऐसे हुए ज़िन्दगी के साथ
ग़म को लगाया हमने गले से ख़ुशी के साथ
जीना मुहाल कर दिया कुछ दिन में ही मेरा
आया तो था वो शख्स बड़ी सादगी के साथ
बस चंद रोज़ का ही अपना साथ रहेगा
समझोता हमने कर लिया इक अजनबी के साथ
लोगों मेरे ग़म से न मुझे तुम जुदा करो
मैं ज़िन्दगी गुज़ार रहा हूँ इसी के साथ
मैं जिससे कर रहा था सवालों की मिन्नतें
उसने दिए जवाब मगर बेरुखी के साथ
मिलना बिछड़ना इश्क़ में अब आम बात है
ये रोग तो लगा हैं यहाँ पर सभी के साथ
हालात, बेवफाई या ग़म रोज़गार का
सौ नाम जुड़ रहे थे मेरी ख़ुदकुशी के साथ
मैंने बस एक शर्त रखी प्यार में 'मनु'
मुझको कुबूल कीजे मेरी हर कमी के साथ</poem>