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रोटी पर एक कविता / धूमिल

59 bytes removed, 14:18, 12 मार्च 2012
'''धूमिल की अंतिम कविता जिसे बिना नाम दिये ही वे संसार छोड़ कर चल बसे ।'''
<poem>
शब्द किस तरह<br>कविता बनते हैं<br>इसे देखो<br>अक्षरों के बीच गिरे हुए<br>आदमी को पढ़ो<br>क्या तुमने सुना कि यह <br>लोहे की आवाज़ है या <br>मिट्टी में गिरे हुए खून <br>का रंग। <br><br>
लोहे का स्वाद <br>लोहार से मत पूछो <br>घोडे से पूछो <br>
जिसके मुंह में लगाम है।
</poem>