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गौरैया / अवनीश सिंह चौहान
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02:55, 18 मार्च 2012
दाना भी है, पानी भी है
मीठे बोल, रवानी भी है
पराधीनता में
दुख-ही-दुख
सुख कैसा?
बात सभी ने जानी भी है
Abnish
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