Changes

वह परवाज़ / अवनीश सिंह चौहान

1,149 bytes added, 14:46, 18 मार्च 2012
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अवनीश सिंह चौहान |संग्रह= }} {{KKCatNavgeet}} <Po...' के साथ नया पन्ना बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=अवनीश सिंह चौहान
|संग्रह=
}}
{{KKCatNavgeet}}
<Poem>
धूप सुनहरी
माँग रहा है
रामभरोसे आज

नदी चढ़ी है
सागर गहरा
पार उसे ही करना
सोच रहा वह
नैया छोटी
और धार पर तिरना

छोटे-छोटे
चप्पू मेरे
साहस-धीरज-लाज

खून-पसीना
बो-बोकर वह
फसलें नई उगाए
तोता-मैना की बातों से
उसका मन
घबराए

चिड़ियाँ चहकें
डाल-डाल पर
करें पेड़ पर राज

घडियालों का
अपना घर है
उनको भी तो जीना
पानी तो है
सब का जीवन
जल की मीन- नगीना

पंख सभी के
छुएँ शिखर को
प्रभु दे, वह परवाज़
</poem>
273
edits