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[[{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=विजय गुप्त]] |संग्रह= / विजय गुप्त }}
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एक अकेले अंगूठे ने
वसीयत कर दी सारी अंगूठियां
घूमती रहेगी पृथ्वी
अकेले अंगूठे के टेक पर।
 
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