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गौरैया / अवनीश सिंह चौहान
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07:59, 19 मार्च 2012
सुधिया कभी
दिखे ना कोई
आते
बुत
-
जाते इन बहरों
से लगते चेहरों
में
सहमी-सी
बात सभी ने जानी भी है
राजा-रानी,
सभी यहाँ चुप
राजा-रानी
रखकर उसको पहरों में!
</poem>
Abnish
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