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एक शे’र / अमजद हैदराबादी
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15:41, 22 मार्च 2012
|रचनाकार= अमजद हैदराबादी
}}
{{KKCatKavita}}
[[Category: शेर]]
<poem>
किस शान से ‘मैं’ कहता हूँ, अल्लाह रे मैं।
समझा नहीं ‘मैं’ को आज तक वाह रे मैं॥
</Poem>
Dr. ashok shukla
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