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18:26, 25 मार्च 2012 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=त्रिपुरारि कुमार शर्मा
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<Poem>
‘कानून अंधा होता है’
पुराना हो चुका है यह जुमला
अब तो कानून की देवी ख़ुद
सफ़ेदपोश लोगों के शयन कक्ष में
बिस्तर के सिलवटों की गवाह बनती है।
(बदन से ‘लेडी डायना’ की बू आती है)
<Poem>