Changes

ज़िन्दगी ने सीखलीं भरना कुलांचें,
मान नहीं करता कि अब इतिहास बाँचें.
घुंघरुओं में बांधकर चरों चारों दिशाएँ,
हम बिना सुर-ताल के निर्बाध नाचें.