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गजबे मुकद्दर हो गइल / मनोज भावुक
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|रचनाकार=मनोज भावुक
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गजबे मुकद्दर हो गइल
गड़ही समुन्दर हो गइल
'भावुक' कहाँ भावुक रहल
ईहो त पत्थर हो गइल
<poem>
Lalit Kumar
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