Changes

चलते-चलते बंजारों को,बात अधूरी कह जाने दो,
टुकड़ा-टुकड़ा,दर्द अनपिया ,आंसू बनकर बह जाने दो.
जग का खारापन पीते हें,लहरों सा जीवन जीते हें,
सागर की तह के अभिलाषी,तिनके के सँग बह जाने दो.
इमली,जामुन,बेर,करौंदे, पागल मन के नेह ह्गारोंदे,घरोंदे
एक सांत्वना दे जाते हें, तूफानों ने जब-जब रोंदे.
स्वप्न-महल के वासी हो तुम,माटी के घर,ढह जाने दो.