Changes

एक ही संतान तक ,पहुंचे नहीं हैं हम अभी .
भावनाएं हैं बहुत, गौरव कथाएँ याद हैंएहैं,
पर न जाने भीड़ में ये कौन सा उन्माद है,
प्रार्थना हैं,अजानें, आरतीं हैं, हाँ मगर,