भावार्थ ;-- (माता ने कहा-) `लाल ! खेलने जाओ, सब बालक तुम्हें पुकार रहे हैं ।'यह सुनकर कन्हाई अत्यन्त आतुर हो उठे । बार-बार द्वारकी द्वार की ओर देखने लगे । बार-बार मोहन मैयासे पूछने लगे- यह सुनकर कन्हाई अत्यन्त आतुर हो उठे । बार-बार द्वारकी ओर देखने लगे । बार बार मोहन मैयासे मैया से पूछने लगे -`मेरा गेंद, खेलनेका खेलने का बल्ला कहाँ है ?' (माता ने कहा--) दहीके दही के माटके पीछे देखो, मैंने लेकर वहाँ रख दिया है ।' अपनेहाथमें अपने हाथ में बल्ला और गेंद लेकर मोहन घरसे घर से बाहर आये । सूरदासजी सूरदास जी कहते हैं - श्यामसुन्दर सब ग्वाल-बालकों से पूछ रहे हैं- `किस स्थानपर स्थान पर खेलोगे?'