गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
हाइकु 121-140/ रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
2 bytes removed
,
08:27, 16 अप्रैल 2012
मीत नहीं थे ।
133
मिली न पाती
संदेसा दे गया था
तेरा ये मन ।
युगों जी लूँगा ।
137
याद करूँ मैं
तुमको कैसे , जब
भूला ही नहीं ।
वीरबाला
4,863
edits