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फैली मुस्कान-हाइकु / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
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12:40, 16 अप्रैल 2012
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|रचनाकार= रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
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[[Category:हाइकु]]
<poem>
21
फैली मुस्कान
25
तुतली बोली
आरती
में किसी ने
मिसरी घोली ।
26
फैली चाँदनी
धरा से नभ तक
जैसे चादर ।
श्रेणी: हाइकु
</poem>
वीरबाला
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