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अलबम / पवन करण

3 bytes added, 20:42, 22 अप्रैल 2012
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यह कविता पवन करण की ’बूधई ’बूढ़ी बेरिया’ कविता का ही नया रूप है।
एक अकेली वीरान औरत के पास
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