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*[[ रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु]]' ने इस संग्रह में अपने जून 1986 से फ़रवरी 2011 तक 494 हाइकु संगृहीत किए हैं ।आपने हैं। *आपने कहा है -“ कोई विशिष्ट गाँव ,शहर या जिला किसी विधा का स्कूल नहीं हो सकता।हमें इस कबिलाई सोच और संकीर्णता से उबरना चाहिए । सहृदय रचनाकार अगर मेरठ या फ़रीदाबाद का हो तो उसे औरों से कमतर रचनाकार नहीं कहा जा सकता । जो प्रामाणिक अनुभूतिजन्य रचेगा , उसी का रचा हुआ रसज्ञों को रुचेगा और वही इस साहित्य धारा में बचेगा भी । प्रसिद्ध *प्रसिद्ध हाइकुकार डॉ.[[सुधा गुप्ता ]] के अनुसार -
‘हिमांशु’जी के मन्तव्य के अनुसार ’
पके आम से