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ज़िन्दगी क्रम / बालस्वरूप राही
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04:11, 12 मई 2012
वर्तनी में सुधार
जो काम किया, वह काम नहीं आएगा
इतिहास हमारा नाम नहीं दोहराएगा
जब से
सुनों
सुरों
को बेच ख़रीदी सुविधा
तब से ही मन में बनी हुई है दुविधा
हम भी कुछ अनगढ़ता तराश सकते थे
Rishabh.cktd
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