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ज़िन्दगी क्रम / बालस्वरूप राही
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04:14, 12 मई 2012
वर्तनी सुधार
जब से सुरों को बेच ख़रीदी सुविधा
तब से ही मन में बनी हुई है दुविधा
हम भी कुछ
अनगढ़ता
अनगढा
तराश सकते थे
दो-चार साल अगर समझौता न करते ।
Rishabh.cktd
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