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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार= रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’ }}[[Category:हाइकु]]<poem>101शीतल छाँवजहाँ धरे पाँव ये मेरी बहन ।102पीठ है खुलीकुछ वार करेंगे यार करेंगे।103मरने के सौ तो हज़ार बहाने हैं जीवन के104चकाचौंध कीइस नगरी में आहम खो गए ।105पके आम से सहज चुए रसहाइकु वैसे ।106दर्द था मेरामिल शब्द तुम्हारेगीत बने थे ।107पता चला न किस पल अपनेमीत बने थे । 108मृग बावराहै नाभि में कस्तूरीकभी न जाने ।109गुणी जो होतानिज मन- चंदनन पहचाने ।110जीवन-घटजब जितना ढरेउतना भरे ।111अविश्वासी जोविश्वास कब करेजिए या मरे ।112काँटे जो मिलेजीवन के गुलाबउन्हीं में खिले ।113मोती न सही हैं बहुत कीमतीआँसू तुम्हारे ।114पैसे की भूखबनी जो ज्वालामुखीकरेगी दुखी ।115 क्रूर ये सत्ताछीन लेती है छत,कौर व लत्ता । 116दफ़्तर गुफाहैं छिपे रक्तपायीजीव लापता ।117सच्चा लगाव मिटा गया पल मेंसारे अभाव ।118आरोप सभीलिखे अपने नाममिला आराम ।119 मन में छलतो छलकेगा कैसे सुधा का घट।120वीणा के तार कसोगे सही तभीगूँजेगा राग।-0-</poem>