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आहत युगबोध / जगदीश व्योम
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16:11, 21 मई 2012
आहत युगबोध के जीवंत ये नियम
यूं ही बदनाम हुए हम !
मन की अनुगूंज ने वैधव्य वेष धार लिया
कांपती अंगुलियों ने स्वर का सिंगार किया
अवचेतन मन उदास
पाई है अबुझ प्यास
त्रासदी के नाम हुए हम
यूं ही बदनाम हुए हम !!
डा० जगदीश व्योम
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