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अहिंसा के बिरवे / जगदीश व्योम
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16:20, 21 मई 2012
चलो फिर अहिंसा के बिरवे उगाएँ !
बहुत लहलही आज हिंसा की फसलें
प्रदूषित हुई हैं धरा की हवाएँ।
चलो फिर अहिंसा के बिरवे उगाएँ।।
डा० जगदीश व्योम
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