Changes

कबीर की साखियाँ / कबीर

3 bytes removed, 16:46, 21 मई 2012
}}
कस्तुरी कुँडली कस्तूरी कुँडल बसै, मृग ढ़ुढ़े बब माहिँ.<br>
ऎसे घटि घटि राम हैं, दुनिया देखे नाहिँ..<br><br>