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प्रकृति परी सुन रे बच्चे!हाथ लिये घूमतीसपने तेरे बड़ेजादू की छड़ीनयन छोटेमोहक रूप धरेआकाश तेरा घरसब का मन हरेले उड़ान जी-भर
नाप धरा सुन्दरी!हैतेरा मोहक रूपआकाश औ’ पातालबड़ा निरालापल भर मेंनिज धुन मगनमुठ्ठी भर का दिलहर कोई मतवालाकितनी हलचल!
वसन्त आयाएक जुगनू बहुत ही बातूनीफ़्रॉक की अँजोर मेंहुई हैं मैनानन्ही मुठ्ठी में चहकती फिरतींदो बीरबहूटियाँअरी, आ, री बहनामुग्ध शैशव!
आम की डालीयादों के मेलेखुशबू बिखेरतीचपल थी बालिकापास बुलातीभोला संसार‘चिरवौनी’ करती हैघी-डाली खिचड़ी थीपिकी, चोंच मार केऔ’ आम का आचार
चाँदनी स्नाततोड़ा घरौंदाशरद-पूनो रातहँस रहा बालकभोर लात मार के धोखेपंछी चहचहातेरोती खड़ी बालिकाजाग पड़ता वनख़ुशी चकनाचूर
मायके आतीबिना पंख केगंध मदमाती-सीउड़ती है लड़कीकली बेला कीखुले आकाशवर्ष में एक बारबरज रही दुनियायही रीति-त्योहारमाने न कोई बाधा
शेफाली खिलीसूरज हँसेवन महक गयाधरा कैसी दीवानीॠतु ने कहा:अजब नशागर्व मत करनारोज़ देखे सपनेपर्व यह भी गयाकभी न हों अपने
काम न आईद्वार पे खड़ीकोहरे की रज़ाईथर-थर काँपतीठण्डक खाईभूख औ’ डरछींक-छींक रजनीपन्नी की आस लियेआँसू टपका रहीवह मलिन बच्ची
दुग्ध-धवलछोटा केबिनचाँदनी में नहायाफ़ाइलों का अम्बारशुभ्र, मंगलकम्प्यूटर पेआलोक जगमगझुकी, सपने लियेहँस रहा जंगलसहमी कबूतरी
तम घिरा रेनिडर चोरकाजल के पर्वतसब चुरा ले गयाउड़ते आएनींद, सपनेजी भर बरसेंगेछोड़ गया तो बसधानसूजी-बच्चे हँसेंगेसूजी पलकें
घुमन्तू मेघधान की पौधबड़े ही दिलफेंकरोपती हैं औरतेंशम्पा को देखाबोती सपनेशोख़ी पे मर मिटेबँधे नया छप्परकड़की, डरे, झरेबेटी जाये ‘पी’ घर
बड़ी सुबहबड़ा कठिनसूरज मास्टर दा’गुलाब को गूँथनाकिरण-छड़ीमाला बनानाले, आतेपँखुरी-धमकातेपँखुरी होपंछी पाठ सुनातेबिखरता जाता वो
सलोनी भोरमन्दिर तकश्वेत चटाई बिछाबिछी है पगडण्डीनीले आँगन फुरसत हाथों में बैठीफूलकविता पढ़ किशोरी दौड़ रहीसपनों की पोटली
फाल्गुनी रातपेंग बढ़ातीबस्तर की किशोरीसज-धज आशा केहिंडोले पेयुवा लड़की‘घोटुल’ को तैयारआज़ाद आकाश मेंचाँद ढूँढ लिया हैपंछी भरे उड़ान
वर्षा की भोर,मीठी है हँसीमेघों की नौका-मधुर बचपनबेफ़िक्र दौड़शुरू हो गई‘रेफरी’ थी जो हवा,सपनों की गठरीखेल शामिल हुईउठाए फिरे मन
वन -पथ में रवि के नामजंगली फूल-गंधभेजी है एक पातीवनैली घासयूँ तो अनामचीना-जुही लतरपहुँच ही जायेगीसोई राज कन्याखोजती पता-सीधाम
सज के बैठीसाझा आँगनआकाश की अटारीसाझी हैं ख़ुशियाँ भीबालिका-बधूसाझी है धूपनीला आँचल उठानहाए जी भर केझाँके मासूम घटाबरसी माँ की धूप
वर्षा से ऊबेशरदाकाश तलेठेले में लादेहरी घास पेरंग-बिरंगे पंछीभरी ककड़ीबेचे सपने: ‘लैला की अँगुली लोपिकनिक मनातेमँजनू की पसली’
आज सुबहआकाश में अटकीदिखाई पड़ीफटी कागज़ी चिट्ठीआह! टूटा चाँद था!! ज्वर से तपेजंगल के पैतानेआ बैठी धूपप्यासा बेचैन रोगीदो बूँद पानी नहीं कोयलिया नेगाए गीत रसीलेकोई न रीझाधन की अंधी दौड़कान चुरा ले भागी जी भर जीनागाना-चहचहानापंछी सिखाते:केवल वर्तमान कल का नहीं भान परिन्दे गातेकृतज्ञता से गीतप्रभु की प्रति: उड़ने को पाँखें दींऔर चंचु को दाना पौष का सूर्यसामने नहीं आतामुँह चुराताबेवफ़ा नायक-साधरती को रुलाता धरा के जायेवसन्त आने पर खिलखिलाएफूले नहीं समाएमस्ती में गीत गाए बहुत छोटा तितली का जीवनउड़ती रहेपराग पान करेकोई कुछ न कहे जंगल गाताभींगुर लेता तानझिल्ली झंकारेटिम-टिम जुगनूतरुओं के चौबारे अपने भार झुका है हरसिंगारफूलों का बोझउठाए नहीं बनेखिले इतने घने सूरज मुखीसूर्य दिशा में घूमेंपूरे दिवसप्रमाण करते-सेभक्ति भाव में झूमें पावस ॠतु: प्रिया को टेर रहाहर्षित मोरपंख पैफला नाचताप्रेम-कथा बाँचता पेड़ हैरानपूछें- हे भगवान्!इंसानी लिप्साहम क्या करेंगे जी?कट-कट मरेंगे जी? हुई जो भोरटुहँक पड़े मोरदेखा नशारानीली बन्दनवारअक्षितिज सजी थी छींटे, बौछारभिगो, खिलखिलाताशोख़ झरनास्फटिक की चादरनावकिसने जड़े मोती? पाँत में खड़ेगुलमोहर सजेहरी पोशाकचोटी में गूँथे फूलछात्राएँ चलीं स्कूल ठण्डी बयारसलोनीसपन-सी सुबहपतवारमीठी ख़ुमारी खोजती फिरेकोकिल कूक उठीअजब जादूगरी बढ़ता जायेध्रती का बुख़ारआर न पारउन्मत्त है मानवस्वयंघाती दानव दिवा अमलसरि में हलचलपाल धवलखुले जो तट बँध्नौका चली उछल फेंकता आगभर-भर के मुट्ठीधरा झुलसीदिलजला सूरजजला के मानेगा रात के साथीसब विदा हो चुकेफैली उजासअटका रह गयाफीके धब्बे-सा चाँद आया आश्विनमतवाला बनाएहवा खुनकीमनचीता पाने स्वर्ण केशी कन्या कोचाह पिफर ठुनकी सृष्टि सुन्दरीफिर- फिर रिझातीमत्त यौवनाटूट जाता संयमअनादि पुरुष का मैल, कीचड़सड़े पत्तों की गंधलपेटे तनबंदर-सी खुजातीआ खड़ी बरसात सिर पे ताजपीठ पर है दाग़गीतों की रानीगाती मीठा तरानावसन्त! फिर आना प्रिय न आएबैठी दीप जलाएआकाश तलेआँसू गिराती निशान रो, उषा ने कहा गुलाबी, नीलेबैंगनी व धवलरंग-निर्झर सावनी की झाड़ियाँहँस रहीं जी भर बुलबुल काबहार से मिलनरहा नायाबगाती रही तरानाखिलते थे गुलाब किसकी यादसिर पटकती हैलाचार हवाखोज-खोज के हारीनहीं दर्द की दवा आ गया पौषलाया ठण्डी सौगातेंबर्फीली रातेंपछाड़ खाती हवाकोई घर न खुलाभटकता यौवन
कहीं तो होगीं
हँसें तो फूल झरें
रोये तो मोती
रे, चाहत के जोगी!
क्या अब कहीं होगी?
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