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आहत युगबोध / जगदीश व्योम
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17:20, 22 मई 2012
<poem>
आहत युगबोध के जीवंत ये नियम
यू~म
यूँ
ही बदनाम हुए हम !
मन की अनुगूँज ने वैधव्य वेष धार लिया
अनिल जनविजय
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