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नए हाइकु / ऋतु पल्लवी

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उसका पढ़ो.
6-बात सबसे
करते हैं ,मगर
मन की नहीं .
7-अकेली तो हूँ
मगर भीड़ को भी
ओढ़ लेती हूँ.
8-विश्वास टूटा मानवता का एक पाठ पा लिया . 9-भोग्या - नारीविज्ञापन जग केनशे से बचो . 10- माँ ने भी जब
छोटी बात बनाई
लगी पराई .
1011-आकाश ओढ़ो
तारों को बिछा दो
स्वप्न सोएँगे .
1112- पूजाघर तो
बनाओ, पर घर
तोड़ो न कभी .
1213-शहर बसा
गाँव की कब्र पर
सहर नहीं !
1314- अब इंसान
में बम बसता है
ब्रह्म तो नहीं !
1415-घर गली औ
दुकान क्या ,शहर
सुनसान हुए .
15एक 16एक , दो , तीन
गलतियाँ जीवन
की , कम नहीं !
1617-खोया पल न
लौटे फिर ,जीवन
लौट जाता है .
1718- कोरे पन्ने हैं
किताब के , जीवन
लिखता नहीं .
1819-आज कितनी
द्रौपदियाँ हैं , पर
कृष्ण कंस हैं .
19 20 गुरु- शाप से
आज अर्जुन बना
एकलव्य है .
2021-
रोको झेलम
या चनाब को, धार
आर-पार है .
21-भोग्या - नारीविज्ञापन जग केनशे से बचो .
22- नारी श्रद्धा है
आज इड़ा भी वही
26- हम साथ ही
चलते रहे, तो भी
क्या रास्ते पटे !
27-समय -शिला
सब कुछ लिखे ,तो
कठोर क्यों ?
28-सूरजमुखी- सा मन खिला पर मुरझाया भी . 29- हाथ – हाथ में बात – बात में खिले मैं और तुम .30-सर्दी में जब
ये धूप अलसाई
तू याद आई .
3130- मन अकेला
भीड़ का रेला , मेला
किस काम का .
3231-बेटे की ऊँची
पढ़ाई , क्या कटाई ?
सिर्फ बुआई .
3332-हवा चली ले
झीनी नर्मी , हरती
मन की गर्मी .
3433-संवेदन की
खिली छटा निराली ,
फिर भी खाली .
34- हाथ – हाथ में बात – बात में खिले मैं और तुम .
35-तुंग शैल भी
घन की नमी पर
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