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दादा खुराना / मुकेश मानस
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05:27, 23 मई 2012
कभी-कभी चाय की चुस्कियां लेता हुआ
वह नहीं
उसकी मुस्कान बताती थी
कि उसकी दुकान पर
कुछ नई किताबें आई हैं
वह
अजीब दोस्त था
वह
हमसे कुरेद-कुरेद कर
्पूछता
हमारा हाल-चाल पूछता
और अपना हाल-चाल बड़ी मुश्किल से बताता
Mukesh manas
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