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05:09, 30 सितम्बर 2007 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=शमशेर बहादुर सिंह
|संग्रह=सुकून की तलाश / शमशेर बहादुर सिंह
}}
यह काम नहीं है कामचोरी है महज़
--जीना ये नहीं, हरामखोरी है महज़
कैसा दिल क्या दिमाग़ था तुमको मिला
बस, बस, चुप रह, बकवास कोरी है महज़