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{{KKRachna
|रचनाकार=शमशेर बहादुर सिंह
|संग्रह=सुकून की तलाश / शमशेर बहादुर सिंह
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कितना ज़लज़ला

कितना तूफ़ान आया--

सदहा सदियों में

उभर के इन्सान आया

गो लाख हैवान से भी

बदतर है वो आज

आख़िर तो उसी से 'उठके'

इन्सान आया
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